मन मंदिर की मूर्ति मधुरी छाइ रही ,तव प्यारा …… सचराचर में ज्योत बनी तब झबके पावक ज्वाला ..
श्री सदगुरु परम तत्त्व स्वरुप है, उनकी दिव्य तेजस्वी ज्ञान ज्योत…
जय लक्ष्मी नमस्तेऽस्तु सर्व कार्य जयप्रदे ।
जयं देहि शुभं देहि सर्व कामांश्च देहि मे ।।
हे माँ महालक्ष्मी! आप जय स्वरुपिणी हो, जो " भक्त आपके दयामय पद कमलों…
ॐ उग्र नृसिंहाय विद्महे, वज्र-नखाय धीमहि ।
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संसारमां छे दुःख प्रारब्ध, मारी साथ गुरु तुज ।
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