सदगुरु का सानिध्य प्राप्त करे और सांसारिक दुखो से मुक्ति प्राप्त करे।

संसारमां छे दुःख प्रारब्ध, मारी साथ गुरु तुज ।

छतां तुं छे समर्थ, मारे छे लेखमां मेख ।।

सद्गुरु प्रतिपल स्मरणीय, पूजनीय एवं वंदनीय है। इसलिए जब शिष्य सांसारिक क्लेशों से त्रस्त हो जाता है तब सांसारिक दुखों से मुक्त होने का सन्मार्ग उसे केवल सद्गुरु सानिध्य से ही प्राप्त होता है।

परम पूज्य श्री छोटेदादा विचारगंगा प्रवचन

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